Wednesday, September 1, 2010

गुलजार

गुलजार एक ऐसा नाम, जो लफ्ज़ को बुनते हैं, तो दिल की तह तक पहुंच जाते है... गुलजार लफ्ज़ को हांकते है और उनके इशारे पर लफ्ज चल पड़ते हैं.. यहां तक कि गुमनाम और अनसुने शब्दों को जब वो छूते हैं.. तो वो भी बोलने लगते हैं.. गुलजार साहब का गाना चपा चपा चरखा चले ... को ही सुन लें... गुलजार साहब की अपनी जुबां है .. लेकिन समझते सभी है…जो समझते नहीं वो महसूस कर लेते हैं... इनकी लेखनी से निकला लब्जों का पिटारा भी इनका कहा मानते हैं.. इनके इशारें पर चलते हैं ..और लोंगों के दिलों में जाकर बैठ जाते है ... गुजलार साहब की जुबां का फैलाव असम से लेकर राजस्थान तक है जब वो छैंय्या छैंय्या कहते है .. तो लोग उनके बोल पर छैंय्या छैंय्या करने लगते है ….चल छैंय्या छैंय्या गीत सुन लें .. और जब फिजाओं में उनके बोल सुणियों जी बाबुला म्हारियो गूंजता है .. तो रेगिस्तान की महक लोगों के दिल में उतर आता है … सुणियो जी अरज म्हारियो बाबुला म्हार गाना सुनें.. गुलजार साहब हिन्दुस्तानी तहजीब का नुमांइन्दा सा लगते हैं … जिन्होने अपनी ज़िन्दगी को कतरों में जिया है .. और उन कतरों से घड़ा भरकर अपनी प्यास बुझाई है.. गुलजार साहब जब मजे में होते हैं... तो उनके शब्द भेजे में गोली भी मार देते हैं .गोली मार भेजे में गाना सुनें .. गुलजार साहब हर बार कुछ नया ढूंढ कर लाते है … .इनका इश्क भी सतरंगी है...जो इश्क को दायरे को फैला देता है . .. माशूक को हर रंग में सराबोर करने के लिए .. सतरंगी रे गाना सुन लें... वाकई गुलजार साहब बेमिशाल शख्शियत हैं .. जो .. हाथों पर धूप मला करते है.. .हवाओं पर पैगाम लिखा करते हैं....

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