Wednesday, September 1, 2010

रहस्यमयी बरमूडा ट्रायएंगल

बरमूडा त्रिकोण का रहस्य




अथाह समुद्र में रहस्य .. ये एक ऐसा त्रिकोण जो लील लेता है जहाज -विमान.. इस काल त्रिकोण के आगोश में सब कुछ समा जाता है.. ये अटलांटिक महासागर का एक ऐसा हिस्सा .. जिसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा सका है.. ये है अटलांटिक महासागर के पूर्वी-पश्चिम में स्थित बरमूडा त्रिकोण.. समंदर में ये रहस्यमयी बारमूडा त्रिकोण.. मयामी.. फ्लोरिडा और सेन जुआनस से मिलकर बनता है.. इस इलाके में अब तक अनगिनत समुद्री जहाज और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से गायब हो गए हैं.. और लाख कोशिशों के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है. कुछ लोग इसे किसी परालौकिक शक्ति की करामात मानते हैं.. बारमूडा त्रिकोण कितना रहस्यमयी है.. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है .. कि इस पर कई किताब और लेख लिखे गए है .. तमाम तरह के शोध भी हुए लेकिन तमाम शोध और जांच -पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया...उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया...दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता...लेकिन जहाजों और विमानों का मलबा तक नहीं मिला .. इसलिए बारमूडा ट्रायएंगल आज भी है दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य..

बारमूडा ट्रायएंगल हादसा

बरमूडा ट्रायएंगल अब तक कई जहाजों और विमानों को अपने आगोश में ले चुका है .. जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया... सबसे पहले 1872 में जहाज द मैरी बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ.. जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया.. लेकिन बारमूडा ट्रायएंगल का रहस्य दुनिया के सामने पहली बार तब सामने आया.. जब 16 सितंबर 1950 को अखबार में इसपर लेख छपा ... और फिर इसके दो साल बाद फैट पत्रिका ने ..सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोर.. नाम से लेख प्रकाशित किया.. इस लेख में कई हवाई तथा समुद्री जहाजों समेत अमेरिकी जलसेना के पांच टीबीएम बमवर्षक फ्लाइट 19 विमानों ... के लापता होने का जिक्र किया गया .. फ्लाइट 19 के गायब होने की घटना को काफी गंभीरता से लिया गया .. इसी सिलसिले में अप्रैल 1962 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था कि बरमूडा त्रिकोण में गायब हो रहे विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि... हमें नहीं पता हम कहां हैं.. पानी हरा है .. और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है .. जलसेना के अधिकारियों के हवाले ये भी कहा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए.. यह पहला आर्टिकल था .. जिसमें विमानों के गायब होने के पीछे किसी परलौकिक शक्ति यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों का हाथ बताया गया.. वहीं बारमूडा त्रिकोण में विमान और जहाज के लापता होने का सिलसिला जारी रहा .. बरमूडा त्रिकोण में हुए हादसे की बात करें तो ...1950 में अमेरिकी जहाज एसएस सैंड्रा यहां से गुजरा लेकिन कहां गया कुछ पता नहीं चला .. 1952 में ब्रिटिश जहाज अटलांटिक में विलीन हो गया... 33 लोग मारे गये .. लेकिन किसी के शव तक नहीं मिले.. 1962 में अमेरिकी सेना का केबी-50 टैंकर प्लेन बरमूडा त्रिकोण के ऊपर से गुजरते वक्त अचानक लापता हुआ.. 1972 में जर्मनी का एक जहाज त्रिकोण में घुसते ही डूब गया.. इस जहाज का भार 20 हजार टन था.. 1997 में भी जर्मनी का विमान बरमूडा त्रिकोण में घुसते ही कहां गया.. कुछ पता नहीं चल पाया .. इस तरह कई विमान और जहाज अचानक बरमूडा ट्रायएंगल में गायब हुआ है ...बावजूद इसके आज भी इस दानवी त्रिकोण का रहस्य बरकार है ..

बरमूडा त्रिकोण और परग्रही


अटलांटिक महासागर के बरमूडा त्रिकोण को डेविल्स ट्रायएंगल यानी शैतान त्रिकोण के नाम भी जाना जाता है ... इस काल त्रिकोण से अब तक कई जहाज और विमान गायब हुए है लेकिन किसी का भी कुछ पता नहीं चल पाया ... यहां इलेक्ट्रानिक फॉग होने की बात भी सामने आई ... जिसमें फंस कर जहाज और विमान लापता हो जाते हैं.. लेकिन बरमूडा में इलेक्ट्रानिक फॉग किस तरह बनता है.. इसके बारे में जानकारी नहीं हैं .. इसलिए इस रहस्मयी त्रिकोण को परग्रही शक्तितियों से भी जोड़ कर देखा जाता है .. इस त्रिकोण के पास सबसे ज्यादा यूएफओ दिखने की बात सामने आई है.. इस लिए हो सकता है कि बरमूडा त्रिकोण दूसरे ग्रह के प्राणियों का रिसर्च स्टेशन हो ... इसलिए परग्रही शक्तियां जहाजों और विमानों को गायब करते हों .. और फिर उस पर रिसर्च करते हों .. दुनिया भर में यूएफओ देखने की बात सामने आती ही रहती है ..ऐसे में बरमूडा त्रिकोण से गायब होने वाले विमान और जहाज में परग्रही शक्तियों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है .. लेकिन बरमूडा त्रिकोण के रहस्य में परग्रही शक्तियों का ही हाथ है.. इस पर बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है .. क्योंकि इसका ठोस कोई प्रमाण नहीं है .. इस लिए बरमूडा त्रिकोण आज भी है रहस्यमयी...

हक़ीक़त पर रिसर्च

बारमूडा ट्राएंगल के रहस्य से परदा हटाने के लिए कई शोध हुए ... इस मामले में एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय का रिसर्च .. द बरमूडा ट्रायंगल मिस्ट्री- साल्व्ड.. के लेखक लारेंस डेविड कुशे ने काफी शोध किया जिसमें उनका नतीजा बाकी शोध से अलग था.. उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से विमानों के गायब होने की बात को गलत करार दिया... कुशे ने लिखा कि विमान प्राकृतिक आपदाओं के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुए.. लेकिन इस बात को सभी शोधकर्ताओं ने नजरअंदाज कर दिया.. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में किए गए एक शोध से पता चला है कि इस समुद्री क्षेत्र के बड़े हिस्से में मिथेन हाईड्राइड की बहुलता है.. इससे उठने वाले बुलबुले भी किसी जहाज के अचानक डूबने का कारण बन सकते हैं.. इस सिलसिले में अमेरिकी भौगोलिक सर्वेक्षण विभाग यानी यूएसजीएस ने एक श्वेतपत्र भी जारी किया था.. यह बात और है कि यूएसजीएस के रहस्योद्घाभटन के कुछ दिनों बाद समुद्री जल में से गैस के बुलबुले निकलने के प्रमाण नहीं मिले.. वहीं कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बरमूडा टायएंगल के आसमान में बादलों के बीच तेज आवाज के बीच बिजलियां कड़कड़ते हुए के हुए देखने बात कही.. जिससे वहां इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड बनता है... और फिर बादल और समंदर के बीच बबंडर उठता है.... जिसे इलेक्ट्रोनिक फॉग कहा गया .. लेकिन ये कैसे होता है इससे सभी अनजान हैं ... इसके अलावा बरमूडा ट्रायएंगल में अत्यधिक चुंबकीय क्षेत्र होने की बात कही गई .. जिसकी वजह से जहाजों में लगे उपकरण यहां काम करना बंद कर देते हैं.. और जहाज रास्ता भटक कर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.. यानी यहां भौतिक के कुछ नियम बदल जाते है ... लेकिन तमाम रिसर्च के बाद बरमूडा त्रिकोण के रहस्य के बारे में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया.. और ये दानवी त्रिकोण आज भी अनसुलझी पहेली है ..

बरमूड त्रिकोण व्यस्त समुद्री मार्ग


रहस्यमयी बरमूडा ट्राएंगल के एरिया को लेकर रिसर्च किया गया .. बारमूडा पर पर रिसर्च कर चुके कुछ वैज्ञानिको ने इसका एरिया .. फ्लोरिडा.. बहमास और पूरा केरेबियन द्वीप के साथ महासागर के उत्तरी हिस्से के रूप में बताया .. तो कुछ ने इसे मैक्सिको की खाड़ी तक बढ़ाया है.. यानी रिसर्च के बाद बारमूडा के एरिया को लेकर अलग अलग राय दिए गए ..समंदर में ये त्रिकोण भले ही खतरनाक रहे है .. लेकिन ऐसा नहीं है कि बारमूडा त्रिकोण से होकर कोई जहाज नहीं गुजरता है .. इस क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात भी बहुतायत में रहता है.. ये समुद्री इलाका दुनिया की व्यस्तम समुद्री यातायात वाले जलमार्ग के रूप में की जाती है.. यहां से अमेरिका.. यूरोप और केरेबियन द्वीपों के लिए रोजाना कई जहाज निकलते हैं.. यही नहीं.. फ्लोरिडा.. केरेबियन द्वीपों और दक्षिण अमेरिका की तरफ जाने वाले हवाई जहाज भी यहीं से गुजरते हैं.. यही वजह है कि कुछ लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने यातायात के बावजूद कोई जहाज अचानक से गायब हो जाए.. या फिर ऐसे में कोई दुर्घटना जाए .. तो किसी को कैसे पता नहीं चल पाएगा .. लेकिन हकीकत तो यही है कि इस क्षेत्र से गायब हुए जहाज और विमान का अब कुछ पता नहीं चल पाया है ..

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