बेशक भारत
दौरे पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत में 20 लाख डालर निवेश करने का
समझौता किया...लेकिन शी जिनपिंग का भारत दौरा शुरू होते ही चुमार और डेमचोक में
चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ
शुरू कर दिया...ऐसे में ये बताने की जरूरत नहीं कि ड्रैगन की ये सोची समझी चाल है...एक तरफ भारत में
निवेश कर विकास की बात करना ..और दूसरी ओर अपनी विस्तारवादी नीति पर चलते
रहना ...दरअसल चीन की विस्तारवादी नीति
में पहले वो पड़ोसी देशों के सीमा में अपने सैनिकों की घुसपैठ करवाता है... और कुछ दिनों बाद उस इलाके को अपना इलाका होने का दावा कर देता
है...चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुए शिखार वार्ता में जब प्रधानमंत्री ने सीमा
पर चीनी सैनिकों का घुसपैठ का मुद्दा उठाया...तो शी जिनपिंग ने सधे हुए शब्दों ये
कह कर किनारा कर लिया कि सीमा विवाद की वजह से इस तरह की घटनाएं
हो जाती है.. इसलिए सीमा विवाद को सुलझाना जरुरी है... लेकिन चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाना भारत के लिए आसान नहीं है... क्योंकि चीन तो
अरूणाचल प्रदेश को अपने देश का हिस्सा होने का दावा करता है... साथ ही जम्मू
कश्मीर को भी भारत का अभिन्न अंग नहीं मानता.. हालत ये है कि भारत के विरोध के बाद भी चीन जम्मू -कश्मीर के लोगों को नत्थी विजा जारी करता
रहा ...उससे भी भयावह ये कि चीनी सैनिक
भारतीय सीमा में कई किलोमीटर घुसपैठ कर
अपना कब्जा कर जमा चुका है.. अब सवाल ये
कि ड्रैगन भारत को आंख दिखाने की हर बार जुर्रत क्यों करता है... इसकी वजह साफ है
कि चीन सामरिक शक्ति के लिहाज से भारत से
काफी आगे निकल चुका है.. .इतना ही नहीं सीमा पर चीन फिलहाल सड़क और रेलवे का
विस्तार कर अपनी स्थति काफी मजबूत कर चुका है...जबकि भारत के हुक्मरानों की नींद काफी दिनों बाद खुली है
सीमा पर कुछ हवाई पट्टी... और सड़कें बनाई गई है... लेकिन चीन की तरह सीमा पर भारत
को अपनी स्थिति मजबूत करने अभी काफी वक्त लगेगा...ऐसे में सामरिक शक्ति में संतुलन होने के बाद ही चीन और भारत के बीच लंबे वक्त से चल रहे आ रहे सीमा विवाद का समाधान हो सकता है... चीन का भारत
को आंख दिखाने की एक वजह ये भी है कि चंद दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी के जापान दौरे के बाद ना सिर्फ दोनों
देशों के बीच रिश्ते मजबूत हुए हैं
..बल्कि जापान ने भारत में बुलेट ट्रेन समेत काफी क्षेत्रों में निवेश करने का समझैता
भी किया है ...जबकि राष्ट्रपति प्रणब
मुखर्जी अपने वियतनाम दौरे के दौरान चीन
सागर से तेल निकालने समेत कई समझौते किए हैं...जापान और वियतनाम से भारत
की बढती नजदिकियां अब चीन को बेहद ही नागावार गुजर रहा है.. क्योंकि
जापान और वियतनाम के साथ चीन के तल्ख रिश्ते हैं...या यूं कहें विस्तारवादी नीति
की वजह से चीन का अपने किसी भी पड़ोसी देश से संबंध बेहतर नहीं
है.. हां पाकिस्तान इसमें अपवाद जरूर है...वैसे भी चीन के लिए पाकिस्तान महज एक
मोहरा है...जिसे जरूरत के हिसाब से चीन
इस्तेमाल करता है... इसकी एक बानगी भी अभी देखने को मिला ...जब चीनी
राष्ट्रपति जिनपिंग ने पाकिस्तान को नजरअंदाज
कर यानि
पाकिस्तान दौरा रद्द कर भारत का
दौरा करना ही मुनासिब समझा ...बहरहाल
प्रधानमंत्री मोदी ड्रैगन की हर चाल को उसी
के अंदाज में जबाव देने की काबिलियत रखते
हैं...क्योंकि मोदी मौजों के मछुआरे नहीं
हैं... मौजों के वो मल्लाह हैं.. जो किनारे से झांककर नहीं...मझधार के बीच बैठकर
तौलते हैं लहरों की ताकत...
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